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प्रधानमंत्री मोदी से मिले मुख्यमंत्री धामी, मानसखंड मंदिर माला मिशन के लिए मांगे 1000 करोड़ रूपये

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नई दिल्ली में मुलाकात की और उन्हें लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने पर बधाई दी। धामी ने प्रधानमंत्री मोदी को महासू मंदिर की प्रतिकृति भेंट की और राज्य के विकास से जुड़े विभिन्न मुद्दों की जानकारी दी। धामी ने कहा कि राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि में जलविद्युत परियोजनाएं मुख्य कारक हैं। राज्य की बिजली आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उत्तराखंड को हर साल खुले बाजार से लगभग 1,000 करोड़ रुपये की ऊर्जा खरीदनी पड़ती है , जिससे राज्य के वित्तीय संसाधनों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी से अलकनंदा, भागीरथी एवं सहायक नदियों पर प्रस्तावित 24 जलविद्युत परियोजनाओं के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित विशेषज्ञ समिति की अंतिम रिपोर्ट की जल शक्ति मंत्रालय एवं ऊर्जा मंत्रालय से समीक्षा करने का अनुरोध किया। उन्होंने प्रधानमंत्री को मौजूदा वन संरक्षण नियमों के तहत प्रतिपूरक वनरोपण के लिए उपयुक्त भूमि के चयन में आने वाली चुनौतियों से अवगत कराया। धामी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 67% वन क्षेत्र वाले उत्तराखंड को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बुनियादी ढांचे और रणनीतिक उद्देश्यों के लिए महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं के लिए भूमि उपलब्धता में बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से एनएचएआई, बीआरओ, आईटीबीपी, रेलवे और सेना जैसी विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों द्वारा आवश्यक वन भूमि के हस्तांतरण के लिए मंजूरी में तेजी लाने का आग्रह किया।

धामी ने निवेश आकर्षित करने के लिए मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क की स्थापना के लिए प्रधानमंत्री मोदी से सहयोग मांगा और औद्योगिक विकास के लिए बीएचईएल हरिद्वार से भूमि हस्तांतरण की वकालत की। उन्होंने खुरपिया में एकीकृत विनिर्माण क्लस्टर की प्रगति के बारे में प्रधानमंत्री मोदी को जानकारी दी और इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए केंद्रीय मंजूरी के महत्व पर जोर दिया। सांस्कृतिक और धार्मिक पर्यटन पर प्रकाश डालते हुए धामी ने मोदी को मानसखंड मंदिर माला मिशन के बारे में जानकारी दी जिसका उद्देश्य 48 पौराणिक मंदिरों को विकसित करना है। उन्होंने इन मंदिर स्थलों के आसपास कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए 1,000 करोड़ रुपये की सहायता का अनुरोध किया।

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