सियासी गलियारों में एक ही सवाल है कि भट्ट, बलूनी, त्रिवेंद्र और टम्टा में किसकी किस्मत चमकेगी
उत्तराखंड की सभी 5 सीटों पर परिणाम घोषित हो चुके हैं. बीजेपी ने यहां एक बार फिर 5 सीटों पर अपना कब्जा जमा लिया है. वहीं कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई है. 19 अप्रैल को सभी 5 लोकसभा सीटों पर एक ही चरण में मतदान हुआ था. इससे पहले एग्जिट पोल के नतीजों में उत्तराखंड की सभी सीटों पर बीजेपी की जीत का अनुमान लगाया गया थ. बीजेपी 2014 से लगातार चुनावों में जीत दर्ज कर रही है. टिहरी से माला राज लक्ष्मी की लगातार चौथी जीत, पौड़ी गढ़वाल से अनिल बलूनी पहली बार जीते. नैनीताल से अजय भट्ट ने जीत दर्ज की है. अजय टम्टा ने अल्मोड़ा सीट से जीत दर्ज की है तो हरिद्वार सीट से त्रिवेंद्र सिंह रावत जीते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में हर बार की तरह उत्तराखंड को भी प्रतिनिधित्व दरकार है। पांचों लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद भाजपा के राजनीतिक हलकों में एक ही सवाल तैर रहा है कि अजय भट्ट, अनिल बलूनी, त्रिवेंद्र सिंह रावत और अजय टम्टा में से किसकी किस्मत चमकेगी। हालांकि भाजपा अपने दम पर सरकार नहीं बनाने जा रही है, इसलिए एनडीए सरकार में उत्तराखंड राज्य के हिस्से में मंत्री पद आना उतना आसान भी नहीं माना जा रहा है। चर्चाएं तेज हो गई हैं कि राज्य के किस सांसद को इस बार मोदी कैबिनेट में एंट्री मिलेगी। दरअसल, 2014 की मोदी सरकार में उत्तराखंड के अजय टम्टा राज्यमंत्री बने थे। लेकिन यह भी देखा गया कि मोदी सरकार में एक बार बदले गए मंत्री को दोबारा मौका नहीं मिला। टम्टा एक बार हटे तो फिर कैबिनेट में उनकी वापसी नहीं हो पाई।
2019 की सरकार में पुराने चेहरे टम्टा के बजाए बतौर शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को मौका मिला। नैनीताल से सांसद अजय भट्ट को रक्षा और पर्यटन राज्यमंत्री बनने का अवसर प्राप्त हुआ। अब मोदी की तीसरी कैबिनेट में उत्तराखंड के प्रतिनिधित्व को लेकर चर्चाएं गरमा रही हैं। सबसे ज्यादा संभावना इस बार गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी की लग रही है. बलूनी भाजपा के दिग्गज अमित शाह के करीबी माने जाते हैं। केंद्रीय संगठन में उनकी राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी के तौर पर अहम भूमिका है। केंद्रीय नेताओं से उनके मधुर रिश्तों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके प्रचार में आए राजनाथ सिंह गढ़वाल के मतदाता को यह इशारा कर गए थे कि वे केवल एक सांसद नहीं चुन रहे हैं।