हाईकोर्ट को लेकर उत्तराखंड में क्यों बरपा है ‘हंगामा’? पढ़ें पूरा मामला
नैनीताल में मंडल मुख्यालय से हाई कोर्ट शिफ्टिंग के लिए जगह का चयन करने को लेकर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन में अधिवक्ताओं ने एकमत होकर कहा कि हाई कोर्ट को नैनीताल से शिफ्ट न किया जाए। उन्होंने साफ किया कि अगर कोर्ट के लिए जगह की कमी है तो सरकार से नैनीताल जिला मुख्यालय में शत्रु संपत्ति मेट्रोपोल, टेलीफोन एक्सचेंज, कुमाऊं विवि की खाली भूमि तथा प्रशासन अकादमी के अतिरिक्त भवनों का अधिग्रहण किया जा सकता है।
अब तय किया गया कि सोमवार को बार सभागार में एक और बैठक की जाएगी। जिसके बाद रिजाल्यूशन को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। हाईकोर्ट बार के पूर्व महासचिव रहे जयवर्धन कांडपाल ने कहा कि लंबे संघर्ष के बाद बीस वर्षो बाद हम अधिवक्ताओं को चैंबर मिले हैं, चाबी मिलने से पूर्व अब कोर्ट शिफ्टिंग की बात हो रही है। दीप जोशी ने कहा कि हमें मिलकर हाईकोर्ट बेंच अन्यत्र भेजे जाने के नाम पर अधिवक्ताओं में फूट डालने की पहल को नाकाम करना होगा। संजय भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड राज्य हमें आंदोलन व शहादत के बाद मिला। जन भावनाओं के अनुरूप देहरादून में अस्थाई राजधानी बनी जबकि नैनीताल में स्थाई हाईकोर्ट । पहाड़ी राज्य की कल्पना के अनुरूप हाईकोर्ट को यहीं रहना चाहिए।
अधिवक्ताओं ने कहा कि इस प्रस्ताव का हाई कोर्ट बार एसोसिएशन पुरजोर विरोध करती है। हाई कोर्ट को किसी भी हाल में नैनीताल से शिफ्ट नहीं किया जाए। बैठक का संचालन हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव सौरभ अधिकारी ने किया। इस मौके पर उत्तराखंड बार काउंसिल के चेयरमैन डा. महेंद्र सिंह पाल, वरिष्ठ अधिवक्ता पुष्पा जोशी, पूर्व सचिव डीएस मेहता, योगेश पचोलिया, कमलेश तिवारी, विजय भट्ट, विनोद तिवारी, हरिमोहन भाटिया, सनप्रीत अजमानी सहित अन्य ने विचार रखे और कहा कि हाई कोर्ट को नैनीताल से कतई शिफ्ट नहीं होने दिया जाएगा।