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डमार-भीरी पुल: पिछले 8 सालों से है इन्तेजार, हर बार सिर्फ वादा और भरोसा मिला, अब चक्काजाम की तैयारी में ग्रामीण

डमार-भीरी पुल के निर्माण का सपना ग्रामीणों के लिए बीते आठ सालों से एक अधूरी उम्मीद बना हुआ है। हर बार चुनावों और अधिकारियों के दौरे के दौरान पुल निर्माण के वादे किए जाते हैं, लेकिन यह वादे कभी हकीकत में नहीं बदलते। क्षेत्र के ग्रामीणों को हर बार केवल आश्वासन और भरोसा ही मिलता है, जबकि उनकी समस्याएं जस की तस बनी रहती हैं।

ग्रामीणों के लिए यह पुल केवल एक निर्माण परियोजना नहीं है, बल्कि उनकी रोजमर्रा की जरूरतों और विकास की राह को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण साधन भी है।  गाँव का संपर्क 21वीं सदी में भी बाजार से कटा हुआ है, गाँव में कोई बुजुर्ग बीमार हो या कोई शादी व्याह हो हर बार तकलीफों का सामना करना पड़ता है।  इसके साथ ही खेती-किसानी के लिए जरूरी सामान लाने-ले जाने में भी ग्रामीणों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

पुल निर्माण में हो रही इस देरी से अब ग्रामीणों का धैर्य खत्म हो गया है। लंबे समय से आश्वासन सुनने के बाद, उन्होंने अब आंदोलन का रास्ता अपनाने का फैसला किया है। ग्रामीणों ने चक्काजाम करने की चेतावनी दी है, जिससे प्रशासन और संबंधित विभागों पर दबाव बनाया जा सके। उनका कहना है कि अगर इस बार भी केवल वादे और योजनाएं कागजों तक ही सीमित रहीं, तो वे उग्र आंदोलन करने को मजबूर हो जाएंगे।

सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे ग्रामीणों की समस्याओं को गंभीरता से लें और पुल निर्माण को प्राथमिकता में रखें। डमार-भीरी पुल का निर्माण न केवल क्षेत्र के विकास के लिए जरूरी है, बल्कि यह प्रशासन की जिम्मेदारी भी है कि वह जनता के विश्वास को बनाए रखे। ग्रामीणों की मांगें जायज हैं, और उन्हें जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए।

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