पूर्व मंदिर समिति अध्यक्ष अजेन्द्र अजय की तीखी प्रतिक्रिया… शिकायतों के बाद भी सचिव पर्यटन नहीं उठाते फोन
बद्पूरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष अजेन्द्र अजय ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि उत्तराखंड की चारधाम यात्रा राज्य का सबसे बड़ा धार्मिक और आर्थिक आयोजन मानी जाती है। यह यात्रा न केवल श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है, बल्कि हजारों स्थानीय व्यवसायियों और कामगारों के लिए रोज़गार का मुख्य साधन भी है। यही कारण है कि यात्रा के दौरान हर साल बड़ी संख्या में तीर्थयात्री उत्तराखंड पहुंचते हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था को संबल प्रदान करते हैं।
हालांकि, यात्रा के दौरान व्यवस्थाओं से जुड़ी कई छोटी-बड़ी समस्याएं सामने आती रहती हैं। ऐसे में अगर शासन-प्रशासन संवेदनशील और तत्परता से काम करे, तो समस्याओं का समाधान समय पर हो सकता है। लेकिन जब ज़िम्मेदार अधिकारी लापरवाह रवैया अपनाएं, तो यात्रियों और स्थानीय लोगों की परेशानियां बढ़ जाती हैं।
इस बार भी यात्रा शुरू होने के बाद तीर्थ यात्रियों, पुरोहितों और व्यापारियों ने व्यवस्थाओं में आ रही समस्याओं को लेकर चिंता जताई और इन्हें प्रमुख अधिकारियों तक पहुंचाने की कोशिश की। लेकिन राज्य के पर्यटन सचिव श्री सचिन कुर्वे पर यह आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने न केवल शिकायतों की अनदेखी की, बल्कि कई बार फोन करने के बावजूद जवाब नहीं दिया। यह बात न केवल आम नागरिकों, बल्कि पत्रकारों और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के अनुभव में भी सामने आई है।
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि चारधाम यात्रा जैसी बड़ी व्यवस्था के दौरान सचिव पर्यटन का धामों में निरीक्षण भी ना के बराबर रहता है। जबकि यह अपेक्षित है कि वे खुद मौके पर जाकर व्यवस्थाओं का जायजा लें और आवश्यक निर्देश जारी करें।
इससे पहले भी सचिवालय की एक बैठक में, जब पंजीकरण प्रणाली को लेकर सवाल उठाए गए थे, तो श्री कुर्वे ने बौखलाहट भरा रवैया दिखाया था, जिससे उनकी संवेदनशीलता पर प्रश्नचिन्ह लग गया था।
चारधाम यात्रा जैसी बड़ी जिम्मेदारी निभाने वाले पद पर एक ऊर्जावान, सक्रिय और दूरदर्शी सोच वाला अधिकारी होना चाहिए — ऐसा मानना है कि प्रदेश के नागरिकों और तीर्थ व्यवस्थाओं से जुड़े लोगों का।